जुनूनी लड़की( प्रतियोगिता हेतु)-03-Feb-2024
आज के प्रतियोगिता हेतु
दिनांक- 03-02- 2024 दिवस- शनिवार विषय- जुनूनी लड़की
कुछ लोगों के मानस पटल जुनून शब्द के आते ही नकारात्मकता की रेखा खिंच जाती है। किंतु, ऐसा कदापि नहीं है जुनून एक ऐसा क्रिया-कलाप है जो यदि सकारात्मक रूप ले- ले तो मनुष्य को धरती से आसमान पर पहुंँचा दे। और नकारात्मक रूप हमें धूल- धूसरित कर दे। आज के मेरे कहानी में जुनून के सकारात्मक पहलू को दिखाया गया है।
श्यामा जो बचपन में बड़ा ही नटखट,लापरवाह,आलसी टाइप की बच्ची थी। इस लापरवाही में उसका कोई दोष भी नहीं था। क्योंकि उसके माता-पिता सदैव आपस में लड़ते- झगड़ते रहते थे, उसकी तरफ़ ध्यान नहीं दे पाते थे। जिसकी वज़ह से उसका व्यवहार ऐसा हो गया था।
कक्षा 1 से4 तक ऐसे ही चलता रहा उसका ध्यान पढ़ाई की तरफ़ बिल्कुल भी नहीं था। वह कक्षा में कोई कार्य नहीं करती थी परीक्षा के नज़दीक आते ही सारी कॉपियों को फाड़ देता, छुपा देता,जिसकी वज़ह से उसकी ट्यूशन टीचर बहुत परेशान रहती थीं, कि उसे क्या पढ़ाएँ? उल्टा जब- तब उसके पिता जाकर ट्यूशन टीचर को चार झाड़ सुना जाते। पिछले 6 सालों से आप क्या पढ़ा रही हैं? क्या सीखा रही हैं, हमारे बच्चे को कि इसे कुछ भी नहीं आता?
टीचर बहुत परेशान रहतीं। वह ट्यूशन छोड़ भी नहीं सकती थीं क्योंकि वह उससे भावनात्मक रूप से जुड़ गई थीं। श्यामा को ख़ूब समझातीं। बेटा अच्छे से पढ़ा करो, इससे तुम सबकी प्यारे बन जाओगी। स्कूल में सारे लोग तुम्हें बहुत प्यार करेंगे। मुझे भी बहुत अच्छा लगेगा। तुम्हें भी बहुत खुशी होगी। और तुम बड़ी होकर बहुत बड़ी आदमी बन जाओगी। लेकिन श्यामा को मैम की बात समझ में नहीं आती थी। न उसकी शरारतों में कोई सुधार होता।
समय बीतते-बीतते वह दिन भी आ गया जब कक्षा चार के वार्षिक परीक्षा का परिणाम घोषित होना था। वार्षिक परीक्षा का परीक्षा फल जब मिला तब उसकी कक्षा अध्यापिका तथा प्रधानाचार्य ने श्यामा के सामने ही उसके मम्मी-पापा से कहा कक्षा पांँचवीं में श्यामा यदि अपने आप में सुधार नहीं कर ली तो उसे स्कूल से निकाल दिया जाएगा। श्यामा इस बात को बहुत ध्यान से सुन रही थी।मैम की इस बात ने, बात क्या कह लीजिए धमकी ने उसमें एक जादू सा परिवर्तन किया। उसके अंदर पढ़ने, अच्छी बच्ची बनने,बड़ा आदमी बनने का जुनून जागृत कर दिया।
अब श्याम अपने सभी कार्यों को स्वयं ही ज़िम्मेदारी से नियत समय पर करने लगी। उसके अंदर दिन दोगुना, रात चौगुना सुधार दिखने लगा। वह कक्षा दसवीं में 90%, कक्षा 12वीं में 80%प्रतिशत अंक अर्जित कर वाणिज्य विषय में स्नातक करके एम.बी.ए की और एक बहुत बड़ी कंपनी में डायरेक्टर के पद पर आसीन हुई।
इस तरह श्यामा के अंदर समय रहते जागृत हुए सकारात्मक जुनून ने उसे एक सफ़ल इंसान बनाया और मैम के मन को संतुष्टि दिया।
श्यामा को अपने जीवन में इस प्रकार सफ़ल हुए देखकर उसकी ट्यूशन टीचर फूले नहीं समा रही थीं। किंतु, उसके माता-पिता को इस चीज़ का बिल्कुल भी भान नहीं था कि आज उनकी बेटी के अंदर जो जुनून जागृत हुआ है, जिस जुनून की वज़ह से वह यह सब कुछ कर पाई है उसके पीछे उनका नहीं बल्कि उसके ट्यूशन टीचर का हाथ है ।उन्होंने ही बड़े प्यार, दुलार ,डाँट,मार,धमकी से उसके अंदर इस जुनून को जागृत किया और एक बार जब उसके अंदर अच्छा कार्य करने का जुनून जागृत हो गया तब क्रमशः वह सफ़लता और ऊचाइयों को छूती रही।
यह सब तभी संभव हो पाया जब मैम के अंदर बच्चे को अच्छा इंसान बनाने का जुनून था। और बच्चे के अंदर भी मैम के दिशा-निर्देश के अनुसार कार्य करते हुए अच्छा इंसान बनने का जुनून जागृत हुआ।
इस प्रकार सार रूप में यही कहा जा सकता है कि जुनून को कभी भी नकारात्मक दृष्टि से न देखें।
सीख- जुनून सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह का हो सकता है। सकारात्मक जुनून हमें सफ़लता और नकारात्मक जुनून हमें असफ़लता की ओर ले जाता है।
साधना शाही, वाराणसी
Shnaya
07-Feb-2024 07:46 PM
Nice
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Mohammed urooj khan
06-Feb-2024 12:33 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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Milind salve
05-Feb-2024 02:33 PM
Nice
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